करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्: श्लोक की रिंगटोन डाउनलोड करें

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 करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्: एक दिव्य श्लोक की महिमा "करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्। वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि।" यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय छवि और उनकी लीलाओं का वर्णन करता है। इसमें भगवान को वट के पत्ते पर लेटे हुए एक छोटे बालक के रूप में दर्शाया गया है। श्लोक उनकी बाल लीलाओं का स्मरण कराता है और भक्तों को आनंद, शांति और भक्ति का अनुभव कराता है। श्लोक का अर्थ: इस श्लोक में एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया गया है, जहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी नन्ही हथेलियों से अपने चरणों को थामे हुए हैं और अपने मुख में उन्हें रख रहे हैं। यह दृश्य वट वृक्ष के पत्ते पर लेटे हुए भगवान बाल मुकुंद का है। उनकी यह छवि न केवल उनकी बाल सुलभता को दर्शाती है, बल्कि उनके दिव्य स्वरूप को भी प्रकट करती है। रिंगटोन के लिए इस श्लोक का महत्व: आज के डिजिटल युग में जब हर किसी के पास मोबाइल है, रिंगटोन एक ऐसी चीज़ है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को व्यक्त करती है। अगर आपकी रिंगटोन में यह श्लोक हो, तो यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि आपको और ...

।। शिव पंचाक्षरस्त्रोत ।।

                                           ।। ॐ श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोतम्ॐ।।

श्री केदारनाथ महादेव जी

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय। 
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।

 शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। 
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय। 
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय। 
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ। 
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

  ।। इतिश्री पंचाक्षर स्तोत्रम संपूर्णम।।
          ।।  ॐ नमः शिवाय ।।
पंचाक्षर स्त्रोत सुनने के लिए क्लिक करें👇

* शिव चतुर्दशी के दिन विधिपूर्वक व्रत रखकर शिव पूजा-स्तोत्रों का पाठ तथा शिवकथा भी पढ़ना लाभदाय‍ी रहता है। 




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