करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्: श्लोक की रिंगटोन डाउनलोड करें
करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्: एक दिव्य श्लोक की महिमा
"करारविंदेन पदारविंदं
मुखारविंदे विनिवेशयंतम्।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं
बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि।"
यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय छवि और उनकी लीलाओं का वर्णन करता है। इसमें भगवान को वट के पत्ते पर लेटे हुए एक छोटे बालक के रूप में दर्शाया गया है। श्लोक उनकी बाल लीलाओं का स्मरण कराता है और भक्तों को आनंद, शांति और भक्ति का अनुभव कराता है।
श्लोक का अर्थ:
इस श्लोक में एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया गया है, जहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी नन्ही हथेलियों से अपने चरणों को थामे हुए हैं और अपने मुख में उन्हें रख रहे हैं। यह दृश्य वट वृक्ष के पत्ते पर लेटे हुए भगवान बाल मुकुंद का है। उनकी यह छवि न केवल उनकी बाल सुलभता को दर्शाती है, बल्कि उनके दिव्य स्वरूप को भी प्रकट करती है।
रिंगटोन के लिए इस श्लोक का महत्व:
आज के डिजिटल युग में जब हर किसी के पास मोबाइल है, रिंगटोन एक ऐसी चीज़ है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को व्यक्त करती है। अगर आपकी रिंगटोन में यह श्लोक हो, तो यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि आपको और दूसरों को शांति का अनुभव भी कराता है। जब भी यह रिंगटोन बजेगी, यह आपके और आसपास के लोगों के मन में भक्ति और आनंद का संचार करेगी।
रिंगटोन का चयन क्यों करें?
1. आध्यात्मिकता का प्रतीक: यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला को दर्शाता है और जीवन में भक्ति का संचार करता है।
2. मन की शांति: इसकी मधुर ध्वनि और गहन अर्थ मन को शांत करते हैं।
3. विशिष्टता: यह रिंगटोन आपको भीड़ से अलग बनाएगी और आपके धार्मिक दृष्टिकोण को व्यक्त करेगी।
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