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करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्: श्लोक की रिंगटोन डाउनलोड करें

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 करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्: एक दिव्य श्लोक की महिमा "करारविंदेन पदारविंदं मुखारविंदे विनिवेशयंतम्। वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुंदं मनसा स्मरामि।" यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण की अद्वितीय छवि और उनकी लीलाओं का वर्णन करता है। इसमें भगवान को वट के पत्ते पर लेटे हुए एक छोटे बालक के रूप में दर्शाया गया है। श्लोक उनकी बाल लीलाओं का स्मरण कराता है और भक्तों को आनंद, शांति और भक्ति का अनुभव कराता है। श्लोक का अर्थ: इस श्लोक में एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया गया है, जहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी नन्ही हथेलियों से अपने चरणों को थामे हुए हैं और अपने मुख में उन्हें रख रहे हैं। यह दृश्य वट वृक्ष के पत्ते पर लेटे हुए भगवान बाल मुकुंद का है। उनकी यह छवि न केवल उनकी बाल सुलभता को दर्शाती है, बल्कि उनके दिव्य स्वरूप को भी प्रकट करती है। रिंगटोन के लिए इस श्लोक का महत्व: आज के डिजिटल युग में जब हर किसी के पास मोबाइल है, रिंगटोन एक ऐसी चीज़ है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को व्यक्त करती है। अगर आपकी रिंगटोन में यह श्लोक हो, तो यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि आपको और ...

यूपी टीजीटी और पीजीटी परीक्षा 2022 की 2025 मे संभावित

यूपी टीजीटी और पीजीटी परीक्षा 2022 ki की संभावित  तिथि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (UPSESSB) जल्द ही प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) और प्रवक्ता (PGT) परीक्षा की तिथियों की घोषणा करने वाला है। नीचे प्रमुख जानकारी दी गई है:   1. परीक्षा तिथियां: ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, टीजीटी और पीजीटी परीक्षा फरवरी 2024 के तीसरे सप्ताह में आयोजित की जा सकती हैं। कुछ स्रोतों का कहना है कि यह परीक्षा मार्च या अप्रैल 2024 में भी हो सकती है।   2. परीक्षा प्रारूप: परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) होंगे। टीजीटी के लिए कुल 500 अंकों का पेपर और पीजीटी के लिए 425 अंकों का पेपर होगा। पीजीटी में साक्षात्कार (50 अंक) और अन्य विशेष योग्यता के 25 अंक शामिल होंगे।   3. घोषणा और तैयारी: नई बोर्ड टीम जनवरी 2024 के अंत तक पूरी तरह तैयार हो जाएगी और इसके बाद परीक्षा तिथियां आधिकारिक रूप से घोषित होंगी। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी तैयारी जारी रखें और आधिकारिक सूचना का इंतजार करें।  अधिक जानकारी और नियमित अपडेट के लिए, UPSESSB की वेबसाइट...

आदित्य हृदय स्तोत्र

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                               आदित्य हृदय स्तोत्र by Avghad blogs  यह पूरा स्तोत्र भगवान सूर्य को समर्पित है और इसे रोज सुबह पढ़ने से आत्मविश्वास, शक्ति, और विजय की प्राप्ति होती है।   यह पूरा आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी में प्रस्तुत है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है। यह स्तोत्र रामायण में वर्णित है, जब ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को इसे सुनाया था। ---   1. ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्।      रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्।।   (जब भगवान राम युद्ध में थके हुए और चिंतित खड़े थे और रावण युद्ध के लिए तैयार था।) ---   2. दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्।      उपगम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवान् ऋषिः।।   ( दैवी शक्तियां और ऋषि इस युद्ध को देखने के लिए एकत्रित हुए। ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम से कहा।) ---  3. राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्।      येन सर्वानरीन्वत्स समरे विजयिष्यसि।। ...

Shree Natraj Stuti

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         श्री  शिव नटराज स्तुति  सत सृष्टि तांडव रचयिता  नटराज राज नमो नमः  हेआद्य गुरु शंकर पिता  नटराज राज नमो नमः ।। गंभीर नाद मृदंगना  धबके उरे ब्रह्माडना  नित होत नाद प्रचंडना  नटराज राज नमो नमः ।। शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा  चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां  विषनाग माला कंठ मां  नटराज राज नमो नमः ।। तवशक्ति वामांगे स्थिता  हे चंद्रिका अपराजिता  चहु वेद गाए संहिता  नटराज राज नमोः।। हर हर महादेव फॉलो करें -    TRICK MASTER Disclaimer / Privacy Policy / Contact us

Kailash Mansarovar Yatra : A suspence

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Kailash Mansarovar Yatra : A suspence   Place of Mahadev:- Kailash Mansarovar is situated near Mount Kailash. This wonderful place is full of mysteries. In Shivpuran, Skanda Purana, Matsya Purana etc., there is a separate chapter named Kailash Khand, where the glory has been glorified.                 Kailash Mountain : Aireal View According to mythological beliefs, near this is the city of Kuber. From here, the Ganges, coming out of the lotus feet of Mahavishnu, falls on the top of Mount Kailash, where Lord Shiva flows them in the form of a pure stream in the earth filled with his hair. There is heaven above Mount Kailash and Mrityaloka below. Come know its 12 secrets. 1_Earth_Center : The North Pole is on one side of the Earth, and the South Pole on the other. The Himalayas are situated between the two. The center of the Himalayas is Mount Kailash. According to scientists, this is the center of the earth. Mount Kailash is the center ...

अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज श्री श्री देवरहा बाबा : एक युग पुरुष

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 #देवरहा बाबा एक ऐसे महान संत योगिराज जिनके चरण अपने सिर पर रखवा कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश ही नहीं विदेशों के राष्ट्राध्यक्ष तक लालायित रहते थे। वह यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले थे।  मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में संशय है। उनकी उम्र के बारे में भी एक मत नहीं है। कुछ लोगों का तो यहाँ तक मानना है कि बाबा 900 वर्ष की आयु तक जीवित रहे (बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं.)। भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष थे देवरहा बाबा। डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी विभूतियों ने पूज्य देवरहा बाबा के समय-समय पर दर्शन कर अपने को कृतार्थ अनुभव किया था। पूज्य महर्षि पातंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग में पारंगत थे। श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे। प्रसाद देने के लिए ...

शिव रुद्राष्टकम स्त्रोत्र (महादेव स्तुति)

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 नमस्कार स्वागत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग पेज पर यहां पर आप श्री भोले नाथ जी की स्तुति पढ़ सकते हैं जो कि नीचे दिया गया है धन्यवाद।।                                                  ॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥ नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् । निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् । करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् । स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् । मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥ प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् । त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥ कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी । च...

What is Ramayana ? रामायण क्या है?

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“रामायण” क्या है??  अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पे काबू रखना....... रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... 😊 एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।  नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?  क्या नींद नहीं आ रही ? शत्रुघ्न कहाँ है ? श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी,  गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए । उफ !  कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया । तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए ।  आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी,  माँ चली । आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ? अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की श...

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